कौन जाने अब कहाँ है चांदनी
चाँद गुम है और धुआँ है चाँदनी,,
कौन जाने अब कहाँ है चाँदनी,,
चार दिन की मौज थी वो देख ली.
अब तो खाली दास्तां है चांदनी,,
रह गई है अब यहां तो रात ही
तू जहाँ है बस वहाँ है चांदनी,,
चाँद फिर भी ठीक लगता है मुझे,
हद से ज्यादा बद गुमा है चांदनी,,
भर गया है उस का दामन नूर से,
आज जिसके दरमियाँ है चांदनी,,
इक वहम सा रह गया है आज भी,
सोचता हूँ की यहां है चाँदनी,,
प्रेमल नूराना......✍🏻
ऋषभ दिव्येन्द्र
30-Oct-2021 08:44 PM
लाजवाब गज़ल 👌👌
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Niraj Pandey
30-Oct-2021 07:57 PM
वाह लाजवाब
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Zakirhusain Abbas Chougule
30-Oct-2021 03:37 PM
Nice
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